Monday, March 16, 2009

कोई यहाँ आया था

कल कोई यहाँ आया था

बीती रात किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया था

कोई मुसाफिर रास्ता भूल गया था शायद

इतना निंदासा था की चोखट पर ही ढेर हो गयामंजिल भूल कर रस्ते पर ही सो गया

यही दरवाजे पर बैठी हु सुबह उठते ही रास्ता पूछेगा

मै न मिली तो बीती रात ओर मुझे दोनों को कोसेगा
कल कोई यहाँ आया था

मै ही स्वतंत्रता हू

हा मै ही स्वतंत्रता हूँ
ओर वो जो बेधड़क मेरी नसों से गुजर गया वो विरोध मेरा प्रेमी है
मुझे लाज नही आती कहने में, लगभग हर रात हमबिस्तर रही हूँ उसके, ओर उन्ही अधजगी खूबसूरत रातो का परिणाम है वो मेरा जिगर का टुकडा विचलन
वो अभी छोटा है
बोल नही पाता रोता है चिलाता है ओर ऐसे ही अपनी व्यथा बता है
उसकी ये व्यथा कोई समझ नही पता लेकिन मै सब समझती हूँ आखिर माँ हूँ
वो अभी संघर्ष नही खा पाता इसलिए स्तनपान कराती हूँ केवल विचार ही पिलाती हू
वो बड़ा होकर परिवर्तन बनेगा
हमारा नाम रोशन करेगा
न उसे गाली मत देना वो मेरी नाजायज़ ओलाद नही प्रेम साधना है
विरोध ने उसे अभी नाकारा नही है वो मेरा बच्चा है आवारा नही है
उसे अनाथ भी मत कहना क्योकि मै अभी जिन्दा हूँ
ओर मै बता दू की अपने इस कृत्य पर मै शर्मिंदा नही हूँ